मकर संक्रांति के पर्व पर लोगों ने खूब किया दान-पुण्य,सारा दिन चला पतंग बाजी का पेच लड़ाना
झाबुआ ( रहीम शेरानी )
यूं कहे की मकर संक्रांति का पर्व अंचल में लोगों ने तारीख के हिसाब से एक दिन पहले ही यानी मंगलवार को पारंपरिक रूप से मना लिया। ओर कुछ लोगो ने बुधवार मतलब आज भी मनाया दो दिनो तक हवा के साथ जुगल बंदी करती पतंगों की अठखेलियों ने आसमान रंगीन कर दिया। लोगों ने अपने पुरे परिवार सहित पतंगबाजी के पेच लड़ाए शहर की छतें पतंगबाजों से गुलजार रही। डीजे पर बजते गित संगीत और वो कटी की आवाज ने संक्रांति के उत्साह को बयां किया।
लोगों ने दान-पुण्य की रस्म भी निभाई। बाजार में पर्व का उत्साह नजर आ रहा था। पतंगबाजी के शौकीन नयापुरा, आजाद चौक, मुख्य बाजार व बस स्टैंड क्षेत्र में पतंग खरीदने के साथ मांजा सुतवा रहे थे ओर गुजरात के दाहोद - बड़ौदा जाकर एक से बढ़कर एक रंगीन पतंगे खरीद कर लाए अधिकांश युवाओं ने रात में पतंग उड़ाने की तैयारी कर ली थी। दो दिन पहले से ही वो कटी की आवाज छतों से गूंजने लगी। दिन चढऩे के साथ पतंगबाजों का उत्साह चढ़ता गया। हवा की रफ्तार पतंग बाजों के अनुकुल रहने से आसमान पूरे दिन रंग-बिरंगा रहा।
लोगों ने परंपरा अनुसार तिल का उबटन लगाकर स्नान किया।
गली-मोहल्लों में चला गिल्ली डंडे का भी दौर
गली मोहल्लों में दिनभर गिल्ली-डंडे का दौर चला। युवाओं की टोलियां टीम बनाकर गिल्ली-डंडे खेलते नजर आई।
पुरुषों के साथ महिलाओं और युवतियों बच्चों ने भी खेल का लुत्फ उठाया।
झाबुआ ( रहीम शेरानी )
यूं कहे की मकर संक्रांति का पर्व अंचल में लोगों ने तारीख के हिसाब से एक दिन पहले ही यानी मंगलवार को पारंपरिक रूप से मना लिया। ओर कुछ लोगो ने बुधवार मतलब आज भी मनाया दो दिनो तक हवा के साथ जुगल बंदी करती पतंगों की अठखेलियों ने आसमान रंगीन कर दिया। लोगों ने अपने पुरे परिवार सहित पतंगबाजी के पेच लड़ाए शहर की छतें पतंगबाजों से गुलजार रही। डीजे पर बजते गित संगीत और वो कटी की आवाज ने संक्रांति के उत्साह को बयां किया।
लोगों ने दान-पुण्य की रस्म भी निभाई। बाजार में पर्व का उत्साह नजर आ रहा था। पतंगबाजी के शौकीन नयापुरा, आजाद चौक, मुख्य बाजार व बस स्टैंड क्षेत्र में पतंग खरीदने के साथ मांजा सुतवा रहे थे ओर गुजरात के दाहोद - बड़ौदा जाकर एक से बढ़कर एक रंगीन पतंगे खरीद कर लाए अधिकांश युवाओं ने रात में पतंग उड़ाने की तैयारी कर ली थी। दो दिन पहले से ही वो कटी की आवाज छतों से गूंजने लगी। दिन चढऩे के साथ पतंगबाजों का उत्साह चढ़ता गया। हवा की रफ्तार पतंग बाजों के अनुकुल रहने से आसमान पूरे दिन रंग-बिरंगा रहा।
लोगों ने परंपरा अनुसार तिल का उबटन लगाकर स्नान किया।
गली-मोहल्लों में चला गिल्ली डंडे का भी दौर
गली मोहल्लों में दिनभर गिल्ली-डंडे का दौर चला। युवाओं की टोलियां टीम बनाकर गिल्ली-डंडे खेलते नजर आई।
पुरुषों के साथ महिलाओं और युवतियों बच्चों ने भी खेल का लुत्फ उठाया।