टिड्डी दल के आक्रमण से कृषक बंधु रहे जागरूक जिससे होने वाली क्षति को रोका जा सके - उप संचालक कृषि श्री खपेड़िया
अरविंद कुशाहवा
बड़वानी 21 मई
उपसंचालक कृषि श्री केएस खपेडिया ने जिले के किसान बन्धुओं को टिड्डी दल के हमले से सजग व सर्तक रहने एवं इसके निराकरण के उपाय सुझाये है। उन्होने बताया है कि राजस्थान की सीमा से लगे हुये नीमच एवं मंदसौर जिले के कुछ क्षेत्रो में इन टिड्डी दलो का हमला खेतो पर हुआ है। हवा की रूख पर चलने वाला यह दल किधर जायेगा, यह पूर्व से ज्ञात किया जाना संभव नही है। किन्तु जब खेत में टिड्डी दल बैठता है तब कुछ उपाय कर इनके आक्रमण की क्षति को बहुत हद तक कम किया जा सकता है।
जिले में की गई है संभावित आक्रमण के विरूद्ध तैयारी
उन्होने बताया कि जिले में टिड्डी दल के संभावित आक्रमण को दृष्टिगत रखते हुये कृषि विभाग ने जिला स्तर पर नियंत्रण कक्ष एवं पंचायत तथा मैदानी स्तर पर कार्यकर्ताओं का दल गठित किया है जो किसानो को टिड्डी दल के नियंत्रण हेतु अपनाई जाने वाली विधियो की जानकारी देगा । आवश्यकता पड़ने पर दवाईयो का होने वाला स्प्रे के बारे में भी किसानो को बतायेगा व उसमें मद्द करेगा।
दो प्रकार से किया जा सकता है नियंत्रण उपसंचालक कृषि श्री केएस खपेडिया ने बताया कि टिड्डी दल के आक्रमण को रोकने या कम करने हेतु दो प्रकार से व्यवस्था की जा सकती है। जिसके तहत किसान बन्धु जैविक एवं रासायनिक पद्धतियों का सहारा ले सकते है।
जैविक पद्धति:- टिड्डी दल को भगाने हेतु पूर्व से ही ध्वनि विस्तार यंत्र जैसे मांदल, ढ़ोलक, डी.जे., सायलेंसर निकला ट्रेक्टर, खाली टीन के डब्बे, थाली आदि की व्यवस्था रखना लाभदायक होता है। जैसे ही टिड्डियों का दल आकाश में दिखाई दे, वैसे ही समस्त किसान बन्धु उक्त ध्वनि विस्तार साधनो से आवाज निकालना या बजाना प्रारंभ कर दे । जिससे टिड्डी दल उनके क्षेत्र में नही उतरते हुये आगे निकल जायेगा । यह प्रयास सामूहिक रूप से करने पर कारगर होता है।
रासायनिक पद्धति:- इसके तहत कुछ रासायनिक पद्धार्थ होते है, जिनके माध्यम से भी टिड्डियों को नियंत्रित किया जा सकता है। इसमें स्थानीय स्तर पर उपलब्ध संसाधन जैसे ट्रेक्टर चलित स्प्रेयर, पावर स्प्रेयर्स एवं हस्त चलित स्प्रे पंप से यदि टिड्डियों पर रासायनिक कीटनाशक औषधियों क्लोरोपायरीफॉस 20 प्रतिशत ई.सी., डेल्टास मेथ्रिन 2.8 प्रतिशत ई.सी., मेलाथियॉन 50 प्रतिशत ई.सी. का छिड़काव कर टिड्डियो को नष्ट या नियंत्रित किया जा सकता है।
शाम को उतरता है टिड्डियों का दल उपसंचालक कृषि श्री खपेडिया ने बताया कि टिड्डी के दल का आगमन प्रायः शाम को लगभग 6 बजे से 8 बजे के मध्य होता है, और सुबह 7.30 बजे वह अन्यत्र जगह के लिये उड़ता है। इसी समय इन पर नियत्रण किया जा सकता है।
अरविंद कुशाहवा
बड़वानी 21 मई
उपसंचालक कृषि श्री केएस खपेडिया ने जिले के किसान बन्धुओं को टिड्डी दल के हमले से सजग व सर्तक रहने एवं इसके निराकरण के उपाय सुझाये है। उन्होने बताया है कि राजस्थान की सीमा से लगे हुये नीमच एवं मंदसौर जिले के कुछ क्षेत्रो में इन टिड्डी दलो का हमला खेतो पर हुआ है। हवा की रूख पर चलने वाला यह दल किधर जायेगा, यह पूर्व से ज्ञात किया जाना संभव नही है। किन्तु जब खेत में टिड्डी दल बैठता है तब कुछ उपाय कर इनके आक्रमण की क्षति को बहुत हद तक कम किया जा सकता है।
जिले में की गई है संभावित आक्रमण के विरूद्ध तैयारी
उन्होने बताया कि जिले में टिड्डी दल के संभावित आक्रमण को दृष्टिगत रखते हुये कृषि विभाग ने जिला स्तर पर नियंत्रण कक्ष एवं पंचायत तथा मैदानी स्तर पर कार्यकर्ताओं का दल गठित किया है जो किसानो को टिड्डी दल के नियंत्रण हेतु अपनाई जाने वाली विधियो की जानकारी देगा । आवश्यकता पड़ने पर दवाईयो का होने वाला स्प्रे के बारे में भी किसानो को बतायेगा व उसमें मद्द करेगा।
दो प्रकार से किया जा सकता है नियंत्रण उपसंचालक कृषि श्री केएस खपेडिया ने बताया कि टिड्डी दल के आक्रमण को रोकने या कम करने हेतु दो प्रकार से व्यवस्था की जा सकती है। जिसके तहत किसान बन्धु जैविक एवं रासायनिक पद्धतियों का सहारा ले सकते है।
जैविक पद्धति:- टिड्डी दल को भगाने हेतु पूर्व से ही ध्वनि विस्तार यंत्र जैसे मांदल, ढ़ोलक, डी.जे., सायलेंसर निकला ट्रेक्टर, खाली टीन के डब्बे, थाली आदि की व्यवस्था रखना लाभदायक होता है। जैसे ही टिड्डियों का दल आकाश में दिखाई दे, वैसे ही समस्त किसान बन्धु उक्त ध्वनि विस्तार साधनो से आवाज निकालना या बजाना प्रारंभ कर दे । जिससे टिड्डी दल उनके क्षेत्र में नही उतरते हुये आगे निकल जायेगा । यह प्रयास सामूहिक रूप से करने पर कारगर होता है।
रासायनिक पद्धति:- इसके तहत कुछ रासायनिक पद्धार्थ होते है, जिनके माध्यम से भी टिड्डियों को नियंत्रित किया जा सकता है। इसमें स्थानीय स्तर पर उपलब्ध संसाधन जैसे ट्रेक्टर चलित स्प्रेयर, पावर स्प्रेयर्स एवं हस्त चलित स्प्रे पंप से यदि टिड्डियों पर रासायनिक कीटनाशक औषधियों क्लोरोपायरीफॉस 20 प्रतिशत ई.सी., डेल्टास मेथ्रिन 2.8 प्रतिशत ई.सी., मेलाथियॉन 50 प्रतिशत ई.सी. का छिड़काव कर टिड्डियो को नष्ट या नियंत्रित किया जा सकता है।
शाम को उतरता है टिड्डियों का दल उपसंचालक कृषि श्री खपेडिया ने बताया कि टिड्डी के दल का आगमन प्रायः शाम को लगभग 6 बजे से 8 बजे के मध्य होता है, और सुबह 7.30 बजे वह अन्यत्र जगह के लिये उड़ता है। इसी समय इन पर नियत्रण किया जा सकता है।