नेत्रहीन बुर्जुग महिला को नही मिल रहा कोई सरकारी लाभ
गुरमीत सिंह विर्क/सोनू पाण्डेय
तिकुनियां-खीरी, April 2020
तिकुनियां-खीरी।दशकों से रह रहे एक परिवार में कोई भी जनहित की योजना न पंहुचने से परिवार के सामने विकराल समस्या पैदा हो गई है और कोरोना वायरस ने इस समस्या में घी डालने का काम किया है।रेलवे पानी की टंकी के निकट कई वर्षों से झोपड़ी डालकर नेत्रहीन दुलारा देवी रहती है, पति के देहांत के बाद और गरीबी ने इनसे आंखों की रोशनी भी छीन ली है।दुलारा देवी का पुत्र भारत परिवार सहित नेपाल के ईट भट्ठे पर काम करता है।
लड़की व दामाद की मृत्यु हो जाने के चलते तीन नातियों को पालने की जिम्मेदारी भी सत्तर वर्षीय दुलारा देवी उठा रही है। सबसे बड़ा नाती सूरज नेपाल तथा छोटू व श्रीकिशन कस्बे के होटलों में काम करके पेट की आग को शांत करते आ रहे थे।कोरोना वायरस से हुए लॉकडाउन के कारण कस्बे के होटल बंद हो गए और नेपाल में भी बंदी के चलते वह लोग भी न आ सके, जिस कारण इस परिवार के सामने रोटी का संकट पैदा हो गया है।दुलारा देवी बताती है कि जनधन योजना के लिए जब बैंक पंहुची तो तत्कालीन मैनेजर ने भगा दिया और आधार कार्ड बनाने बाले भी सही बर्ताव नही करते।दुलारा देवी कहती है कि आज तक किसी ने भी मेरे दर्द को नही सुना,इतनी योजनाएं सरकार की आई लेकिन मुझे कोई योजना का लाभ नही दिया गया।दुलारा देवी की पीड़ा से प्रशासन पर कई सवाल खड़े हो रहे है,सरकार की इतनी योजना संचालित है लेकिन किसी भी योजना ने इस परिवार की चौखट पर दस्तक नही दी। क्या वर्ष 2011 में हुई जनगणना में इस परिवार को नही लिया गया,क्या यह परिवार राशनकार्ड के लायक भी नही है। भला हो सुथना बरसोला के कोटेदार अमित गोयल का जो इस नेत्रहीन परिवार की प्रतिमाह मदद में खड़े नजर आते है।बीडीसी कुलदीप शर्मा बताते है कि जिम्मेदार लोगों की उदासीनता के चलते इस परिवार तक कोई भी योजना नही पंहुची,यह चिंता का विषय है।
गुरमीत सिंह विर्क/सोनू पाण्डेय
तिकुनियां-खीरी, April 2020
तिकुनियां-खीरी।दशकों से रह रहे एक परिवार में कोई भी जनहित की योजना न पंहुचने से परिवार के सामने विकराल समस्या पैदा हो गई है और कोरोना वायरस ने इस समस्या में घी डालने का काम किया है।रेलवे पानी की टंकी के निकट कई वर्षों से झोपड़ी डालकर नेत्रहीन दुलारा देवी रहती है, पति के देहांत के बाद और गरीबी ने इनसे आंखों की रोशनी भी छीन ली है।दुलारा देवी का पुत्र भारत परिवार सहित नेपाल के ईट भट्ठे पर काम करता है।
लड़की व दामाद की मृत्यु हो जाने के चलते तीन नातियों को पालने की जिम्मेदारी भी सत्तर वर्षीय दुलारा देवी उठा रही है। सबसे बड़ा नाती सूरज नेपाल तथा छोटू व श्रीकिशन कस्बे के होटलों में काम करके पेट की आग को शांत करते आ रहे थे।कोरोना वायरस से हुए लॉकडाउन के कारण कस्बे के होटल बंद हो गए और नेपाल में भी बंदी के चलते वह लोग भी न आ सके, जिस कारण इस परिवार के सामने रोटी का संकट पैदा हो गया है।दुलारा देवी बताती है कि जनधन योजना के लिए जब बैंक पंहुची तो तत्कालीन मैनेजर ने भगा दिया और आधार कार्ड बनाने बाले भी सही बर्ताव नही करते।दुलारा देवी कहती है कि आज तक किसी ने भी मेरे दर्द को नही सुना,इतनी योजनाएं सरकार की आई लेकिन मुझे कोई योजना का लाभ नही दिया गया।दुलारा देवी की पीड़ा से प्रशासन पर कई सवाल खड़े हो रहे है,सरकार की इतनी योजना संचालित है लेकिन किसी भी योजना ने इस परिवार की चौखट पर दस्तक नही दी। क्या वर्ष 2011 में हुई जनगणना में इस परिवार को नही लिया गया,क्या यह परिवार राशनकार्ड के लायक भी नही है। भला हो सुथना बरसोला के कोटेदार अमित गोयल का जो इस नेत्रहीन परिवार की प्रतिमाह मदद में खड़े नजर आते है।बीडीसी कुलदीप शर्मा बताते है कि जिम्मेदार लोगों की उदासीनता के चलते इस परिवार तक कोई भी योजना नही पंहुची,यह चिंता का विषय है।