उससे अच्छा किसका अमल हो सकता हैं जो दावत और इबादत दोनों को जमा करे: मौलाना साद साहब
24-Nov-2019
Bhopal (MP)
Shahnawaz khan
भोपाल के ईंटखेड़ी में हो रहा 72 वा सालाना आलमी तब्लीगी इज्तिमा के दूसरे दिन शनिवार को फजर में मौलाना शौकत साहब का बयान हुआ इसके बाद ज़ोहर की नमाज़ के बाद मौलाना जमशेद साहब ने अल्लाह की वहदानियत और इस दुनिया की बका के बारे में तफसील से बात समझी। इसके बाद असर की नमाज़ के बाद मौलाना शहजाद ने अल्लाह के ज़िक्र के फ़ज़ाइल को बयान किया।
मगरिब की नमाज़ के बाद दिल्ली मरकज़ और तब्लीगी जमात के अमीर मौलाना साद साहब ने अपनी तकरीर में दावत के काम को समझाते हुए कहा की सबसे अच्छा अमल करने वाला अल्लाह के नज़दीक वो बंदा हैं जो दावत देते हुए अमल करें। मौलाना साद साहब ने अपने बयान में फरमाया की इस वक्त सारे आलम में दावत देने के मुख्तलिफ तरीके ईजाद किए जा रहे हैं फेसबुक और व्हाट्सएप्प के ज़रिए भी लोग दावत दे रहे हैं और इस तरह दावत देने को लोग सही भी समझ रहे हैं हालाँकि दावत देने का सही तरीका नबियों का था और नबी खुद चलके दावत देने जाते हैं सहाबा का भी यही तर्जे अमल था और इसी तरीके पर अगर दावत दी गई तो इस दावत पर हमारा यकीन भी अल्लाह की ज़ात से होने का बनेगा और अमल के अंदर एक तासीर पैदा होगी जो अमल के पूरा होने का ज़रिया बनेगा फिर इस अमल के ज़रिए अल्लाह की कुदरत हमारे साथ हो जाएगी और अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त तमाम चीज़ों को हमारे लिए मुसख्खर फ़रमा देंगे और हम अपने अमलो के ज़रिए दुनिया के तमाम मसाईल को हल करवाने वाले बन जाएंगे। इसके लिए सबसे पहले दावत देने के सही तरीके को सीखना पड़ेगा और दावत के साथ ही सही अमल का तरीका भी सीखना पड़ेगा इसके लिए अल्लाह के रास्ते मे अपनी जान अपने माल और अपने वक्त को लगाकर कुर्बानी देनी पड़ेगी जैसे सहाबा किराम ने अपनी जानो को और अपने मालो को और सारी जिंदगी अल्लाह के रास्ते मे लगाकर कुर्बानी दी जिसकी बुनियाद पर अल्लाह ने सहाबा को दुनिया मे भी कामयाब किया था और मौत के बाद जो कभी न खत्म होने वाली आख़िरत की ज़िंदगी मे भी कामयाब करेंगे।
24-Nov-2019
Bhopal (MP)
Shahnawaz khan
भोपाल के ईंटखेड़ी में हो रहा 72 वा सालाना आलमी तब्लीगी इज्तिमा के दूसरे दिन शनिवार को फजर में मौलाना शौकत साहब का बयान हुआ इसके बाद ज़ोहर की नमाज़ के बाद मौलाना जमशेद साहब ने अल्लाह की वहदानियत और इस दुनिया की बका के बारे में तफसील से बात समझी। इसके बाद असर की नमाज़ के बाद मौलाना शहजाद ने अल्लाह के ज़िक्र के फ़ज़ाइल को बयान किया।
मगरिब की नमाज़ के बाद दिल्ली मरकज़ और तब्लीगी जमात के अमीर मौलाना साद साहब ने अपनी तकरीर में दावत के काम को समझाते हुए कहा की सबसे अच्छा अमल करने वाला अल्लाह के नज़दीक वो बंदा हैं जो दावत देते हुए अमल करें। मौलाना साद साहब ने अपने बयान में फरमाया की इस वक्त सारे आलम में दावत देने के मुख्तलिफ तरीके ईजाद किए जा रहे हैं फेसबुक और व्हाट्सएप्प के ज़रिए भी लोग दावत दे रहे हैं और इस तरह दावत देने को लोग सही भी समझ रहे हैं हालाँकि दावत देने का सही तरीका नबियों का था और नबी खुद चलके दावत देने जाते हैं सहाबा का भी यही तर्जे अमल था और इसी तरीके पर अगर दावत दी गई तो इस दावत पर हमारा यकीन भी अल्लाह की ज़ात से होने का बनेगा और अमल के अंदर एक तासीर पैदा होगी जो अमल के पूरा होने का ज़रिया बनेगा फिर इस अमल के ज़रिए अल्लाह की कुदरत हमारे साथ हो जाएगी और अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त तमाम चीज़ों को हमारे लिए मुसख्खर फ़रमा देंगे और हम अपने अमलो के ज़रिए दुनिया के तमाम मसाईल को हल करवाने वाले बन जाएंगे। इसके लिए सबसे पहले दावत देने के सही तरीके को सीखना पड़ेगा और दावत के साथ ही सही अमल का तरीका भी सीखना पड़ेगा इसके लिए अल्लाह के रास्ते मे अपनी जान अपने माल और अपने वक्त को लगाकर कुर्बानी देनी पड़ेगी जैसे सहाबा किराम ने अपनी जानो को और अपने मालो को और सारी जिंदगी अल्लाह के रास्ते मे लगाकर कुर्बानी दी जिसकी बुनियाद पर अल्लाह ने सहाबा को दुनिया मे भी कामयाब किया था और मौत के बाद जो कभी न खत्म होने वाली आख़िरत की ज़िंदगी मे भी कामयाब करेंगे।