इस्राइली प्रधानमंत्री नेतनयाहू के ख़िलाफ़ चार्जशीट दाख़िल, क्या है संभावित अंजाम?
24-Nov-2019
Sajjad Ali Nayani
इस्राईल के प्राॅसिक्यूटर जनरल की ओर से कई महीने की टाल-मटोल के बाद आख़िरकार ज़ायोनी प्रधानमंत्री बेनयामिन नेतनयाहू के ख़िलाफ़ घूस ख़ोरी, धोखा देने और विश्वासघात के आरोप में चार्ज शीट दाख़िल कर दी गई है।
इस चार्ज शीट के क्रियान्वयन और नेतनयाहू के ख़िलाफ़ मुक़द्दा शुरू होने के लिए अभी कई और चीज़ों की ज़रूरत है। जैसे यह कि इस चार्ज शीट को इस्राईली संसद की संबंधित समिति मंज़ूर करे और साथ ही नेतनयाहू का प्रधानमंत्री पद इस तरह से समाप्त किया जाए कि उन्हें प्राप्त क़ानूनी छूट ख़त्म हो जाए। यह ऐसी स्थिति में है कि इस्राईली संसद कनेसेट अभी हवा में ही है क्योंकि दूसरी बार मध्यावधि चुनाव हुए भी दो महीने का समय बीत चुका है लेकिन नेतनयाहू की लीकुड और बेनी गानेट्ज़ की ब्ल्यू एंड वाइट पार्टी में से कोई भी निर्धारित समय में सरकार गठन में सफल नहीं हो पाया है। इन दोनों दलों में से एक भी कनेसेट के 120 सांसदों में से 61 का समर्थन हासिल करने में कामयाब नहीं हो सका है। इसी लिए ज़ायोनी राष्ट्रपति ने संसद सभापति से कहा है कि वे हर उस सांसद को सरकार गठन का निमंत्रण दें जो 61 सांसदों का समर्थन हासिल कर सकता हो ताकि यह शासन पिछले एक साल से जिस राजनैतिक दलदल में फंसा हुआ है, उससे निकल आए।
अगर इस्राईली संसद सभापति को भी वर्तमान स्थिति से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं मिलता है तो उस स्थिति में एक बार फिर मध्यावधि चुनाव कराने होंगे और यह बात, क़ानून के चंगुल से बचने के लिए नेतनयाहू को एक और अवसर उपलब्ध करा देगी। इसी के साथ यह बात भी स्पष्ट है कि नेतनयाहू के ख़िलाफ़ चार्ज शीट दाख़िल होने के बाद उनके साथ सहयोग हर किसी को मंहगा पड़ेगा और अब कोई भी उनके साथ सहयोग के लिए तैयार नहीं होगा। इस लिए अब राष्ट्रीय एकता के मंत्री मंडल के गठन की संभावना भी लगभग ख़त्म हो गई है क्योंकि कोई भी दल नेतनयाहू का साथ देकर अपना नुक़सान नहीं कराना चाहेगा। बल्कि इस बात की भी संभावना है कि ख़ुद लीकुड पार्टी के सांसद भी अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए नेतनयाहू से दूर ही दूर रहेंगे।
इन परिस्थितियों में इस बात की संभावना मौजूद है कि नेतनयाहू कोई और बिना सोचा समझा क़दम उठा लें, जैसे वे कोई नया युद्ध शुरू कर दें या ग़ज़्ज़ा पर हमला कर दें क्योंकि इस स्थिति में वे आर्थिक भ्रष्टाचार के केस को युद्ध के नीचे छिपा ले जाएंगे। इसका मतलब यह होगा कि नेतनयाहू ने अपनी राजनैतिक शक्ति या ज़ायोनी शासन को बचाने के दो विकल्पों में अपने आपको प्राथमिकता दे दी है और वे अपने निजी हितों के लिए इस्राईल की बलि दे सकते हैं क्योंकि 33 दिवसीय युद्ध समेत हालिया लड़ाइयों के अनुभवों ने सिद्ध किया है कि इस प्रकार के युद्ध इस्राईल को हमेशा के लिए ख़त्म कर सकते हैं। (HN)
24-Nov-2019
Sajjad Ali Nayani
इस्राईल के प्राॅसिक्यूटर जनरल की ओर से कई महीने की टाल-मटोल के बाद आख़िरकार ज़ायोनी प्रधानमंत्री बेनयामिन नेतनयाहू के ख़िलाफ़ घूस ख़ोरी, धोखा देने और विश्वासघात के आरोप में चार्ज शीट दाख़िल कर दी गई है।
इस चार्ज शीट के क्रियान्वयन और नेतनयाहू के ख़िलाफ़ मुक़द्दा शुरू होने के लिए अभी कई और चीज़ों की ज़रूरत है। जैसे यह कि इस चार्ज शीट को इस्राईली संसद की संबंधित समिति मंज़ूर करे और साथ ही नेतनयाहू का प्रधानमंत्री पद इस तरह से समाप्त किया जाए कि उन्हें प्राप्त क़ानूनी छूट ख़त्म हो जाए। यह ऐसी स्थिति में है कि इस्राईली संसद कनेसेट अभी हवा में ही है क्योंकि दूसरी बार मध्यावधि चुनाव हुए भी दो महीने का समय बीत चुका है लेकिन नेतनयाहू की लीकुड और बेनी गानेट्ज़ की ब्ल्यू एंड वाइट पार्टी में से कोई भी निर्धारित समय में सरकार गठन में सफल नहीं हो पाया है। इन दोनों दलों में से एक भी कनेसेट के 120 सांसदों में से 61 का समर्थन हासिल करने में कामयाब नहीं हो सका है। इसी लिए ज़ायोनी राष्ट्रपति ने संसद सभापति से कहा है कि वे हर उस सांसद को सरकार गठन का निमंत्रण दें जो 61 सांसदों का समर्थन हासिल कर सकता हो ताकि यह शासन पिछले एक साल से जिस राजनैतिक दलदल में फंसा हुआ है, उससे निकल आए।
अगर इस्राईली संसद सभापति को भी वर्तमान स्थिति से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं मिलता है तो उस स्थिति में एक बार फिर मध्यावधि चुनाव कराने होंगे और यह बात, क़ानून के चंगुल से बचने के लिए नेतनयाहू को एक और अवसर उपलब्ध करा देगी। इसी के साथ यह बात भी स्पष्ट है कि नेतनयाहू के ख़िलाफ़ चार्ज शीट दाख़िल होने के बाद उनके साथ सहयोग हर किसी को मंहगा पड़ेगा और अब कोई भी उनके साथ सहयोग के लिए तैयार नहीं होगा। इस लिए अब राष्ट्रीय एकता के मंत्री मंडल के गठन की संभावना भी लगभग ख़त्म हो गई है क्योंकि कोई भी दल नेतनयाहू का साथ देकर अपना नुक़सान नहीं कराना चाहेगा। बल्कि इस बात की भी संभावना है कि ख़ुद लीकुड पार्टी के सांसद भी अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए नेतनयाहू से दूर ही दूर रहेंगे।
इन परिस्थितियों में इस बात की संभावना मौजूद है कि नेतनयाहू कोई और बिना सोचा समझा क़दम उठा लें, जैसे वे कोई नया युद्ध शुरू कर दें या ग़ज़्ज़ा पर हमला कर दें क्योंकि इस स्थिति में वे आर्थिक भ्रष्टाचार के केस को युद्ध के नीचे छिपा ले जाएंगे। इसका मतलब यह होगा कि नेतनयाहू ने अपनी राजनैतिक शक्ति या ज़ायोनी शासन को बचाने के दो विकल्पों में अपने आपको प्राथमिकता दे दी है और वे अपने निजी हितों के लिए इस्राईल की बलि दे सकते हैं क्योंकि 33 दिवसीय युद्ध समेत हालिया लड़ाइयों के अनुभवों ने सिद्ध किया है कि इस प्रकार के युद्ध इस्राईल को हमेशा के लिए ख़त्म कर सकते हैं। (HN)